गुवाहाटी : असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने सोमवार को कहा कि राज्य में सिर्फ आठ लोगों ने सीएए के तहत आवेदन किया है और केवल दो लोग ही संबंधित अधिकारी के पास साक्षात्कार के लिए आए हैं। गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जो भी व्यक्ति साल 2015 से पहले भारत आया है, उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे सीएए के तहत आवेदन नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा और 2015 के बाद आए लोगों को राज्य से निर्वासित करेंगे।
कई हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया
मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि हमने बराक घाटी में कार्यक्रम आयोजित किए और कई हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया और उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने को कहा भी था। हालांकि, उन्होंने ऐसा करने से इन्कार कर दिया कि वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपने मामलों से लड़ना पसंद करेंगे।
गौरतलब है कि संसद से पारित होने के चार साल बाद इस साल 11 मार्च को केंद्र सरकार ने नियमों को सूचित करके नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) को लागू किया। जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज के आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे और पांच साल तक यहां रहे।