नई दिल्ली: नीट परीक्षा पपेर लीक विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है. शीर्ष न्यायालय ने एनटीए को निर्देश दिया है कि वह अपनी वेबसाइट पर नीट-यूजी परीक्षा में छात्रों द्वारा प्राप्त अंकों को प्रकाशित करे और छात्रों की पहचान गुप्त रखी जाए. कोर्ट ने कहा कि परिणाम शहर और केंद्र के हिसाब से अलग-अलग घोषित किए जाने चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को 20 जुलाई दोपहर 12 बजे तक नीट-यूजी 2024 के केंद्रवार और शहरवार परिणाम घोषित करने का निर्देश दिया है. सुप्रीम कोर्ट 22 जुलाई को NEET-UG 2024 विवाद से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लाखों छात्र इस मामले में परिणाम की प्रतीक्षा कर रहे हैं.
जानकारी के मुताबिक, सीबीआई ने कथित NEET-UG पेपर लीक और कदाचार की चल रही जांच के बारे में दूसरी स्थिति रिपोर्ट दायर की है. चीफ जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ आज 40 से अधिक याचिकाओं पर सुनवाई की. इन याचिकाओं में परीक्षा रद्द करना, दोबारा परीक्षा कराना और नीट यूजी 2024 के संचालन में कथित गड़बड़ियों की जांच करना है. बता दें कि, विवादों से घिरी नीट-यूजी 2024 (NEET-UG) परीक्षा मामले पर सुप्रीम ने जांच रिपोर्ट मांगी है. अब इस मामले पर सोमवार को सुनवाई होगी. अदालत में तीन जजों की बेंच मामले पर सुनवाई कर रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए पर कई सवाल दागे
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को NEET UG परीक्षा के आयोजन के संबंध में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) पर कई सवाल दागे. NTA ने सुधार विंडो के दौरान केंद्र परिवर्तनों को ट्रैक करने की चुनौती पर प्रकाश डाला. भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि NTA ने रिपोर्ट दी है कि 15 हजार छात्रों ने सुधार विंडो का उपयोग किया और विस्तृत जानकारी देते हुए पूछा कि, उन 15,000 में से कितने ने अपने केंद्र बदले? कितने दिनों के लिए विंडो उपलब्ध थी? पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे, ने परीक्षा प्रक्रिया पर इन सुधारों की सीमा और प्रभाव पर स्पष्टता मांगी. सुनवाई के दौरान, पीठ ने पाया कि भारत भर में 61 छात्रों को 720 में से 720 अंक मिले, जिनमें से 44 छात्रों को उस एक प्रश्न का लाभ मिला, जिसके दो सही उत्तर थे.
सीजेआई ने एनटीए के वकील से पूछा कि पूरी परीक्षा के दौरान 23 लाख छात्रों में से कितने छात्रों ने अपना केंद्र बदला. इस पर एनटीए के वकील ने कहा कि केंद्र आवंटन केवल दो पहलुओं पर होता है, एक स्थायी शहर और दूसरा वर्तमान शहर, और उन्हें केंद्र बदलने के रूप में कोई विशिष्ट विकल्प नहीं मिलता है. सीजेआई ने फिर पूछा कि एक बार जब आप पंजीकृत हो जाते हैं, तो आप केंद्र नहीं बदल सकते. इस पर एनटीए के वकील ने कहा कि सुधार के नाम पर कुछ छात्र केंद्र बदलते हैं, आवेदन पत्र पर परिवर्तन की जानकारी के लिए सुधार प्रदान किया जाता है और कुछ समय के लिए सुधार विंडो दी जाती है, जो दिए गए पते पर आधारित होती है.
एनटीए के वकील ने सुधार विंडो के दौरान केंद्र परिवर्तनों को ट्रैक करने की चुनौती स्वीकार की. उन्होंने कहा कि सुधार के नाम पर वे केंद्र बदलते हैं. उन्होंने कहा, ‘उस प्रक्रिया के दौरान, केवल बदलाव की संभावना होती है.. हमें कभी पता नहीं चलेगा. अभी तक, सिस्टम इसे पकड़ नहीं पाता है.’ पीठ ने पूछा, ‘हमें नहीं पता कि कितने छात्रों ने वास्तव में अपने केंद्र बदले हैं, जबकि विंडो खुली थी… 15,000 छात्रों ने अपने आवेदन में सुधार करने के लिए जो विंडो खुली रखी गई थी, उसका उपयोग किया.’ एनटीए के वकील ने कहा कि 15,000 छात्रों ने सुधार विकल्प का उपयोग किया. सीजेआई ने पूछा कि 15,000 में से कितने ने केंद्र को सही किया है?
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने पूछा कि क्या अभ्यर्थी अपना शहर बदल सकते हैं, क्योंकि उन्हें एनटीए द्वारा केंद्र आवंटित किया गया है? पीठ ने यह भी पूछा, ‘गुवाहाटी का अभ्यर्थी इसे बदलकर लखनऊ कर सकता है.. कोई भी अभ्यर्थी केंद्र तय नहीं कर सकता।. केंद्र केवल एनटीए (कंप्यूटर सिस्टम) द्वारा आवंटित किए जाते हैं?’ एनटीए ने कहा कि केंद्र आवंटन परीक्षा की सटीक तिथि से केवल दो या तीन दिन पहले होता है और किसी को भी यह पता नहीं चलेगा कि उन्हें कौन सा केंद्र आवंटित किया गया है.
सीजेआई ने पूछा ‘पहली विंडो 18-20 मार्च थी, सभी फ़ील्ड सही किए जा सकते हैं? दूसरी विंडो क्या थी? इस पर एनटीए ने पीठ को बताया कि 9 अप्रैल और 10 अप्रैल को नए पंजीकरण के लिए नई विंडो खोली गई थी. सीजेआई ने एनटीए के वकील से पूछा कि दूसरी विंडो में नए आवेदन कैसे आए? एनटीए के वकील ने कहा कि गोधरा में केंद्र का परिवर्तन केवल 34 उम्मीदवारों द्वारा किया गया था, जिनमें से केवल 16 को केंद्र परिवर्तन आवंटित किया गया था.
सीजेआई ने पूछा, ‘क्या हमारे पास इस बात का कोई डेटा है कि देश भर में कितने छात्रों ने (अपना केंद्र बदला)…1 लाख आठ हज़ार में से कितने छात्रों ने अपना शहर बदला होगा, हम यह जानना चाहेंगे. साथ ही हम यह भी देखना चाहेंगे कि उन्होंने किन शहरों में बदलाव किया. क्या हजारीबाग, पटना जैसे संदिग्ध क्षेत्रों में से किसी में कोई बदलाव हुआ? क्या शहरों को किसी ख़ास शहर में बदलने पर कोई ध्यान केंद्रित किया गया था.
सीजेआई ने एनटीए के वकील से पूछा, ‘क्या अप्रैल की तारीखों पर पंजीकरण कराने वालों में कोई पक्षपात है….जिन लोगों ने अपना केंद्र बदला है, उनमें से कितने 1 लाख 8 हज़ार तक पहुंच पाए हैं. दूसरा, क्या 9 अप्रैल और 10 अप्रैल को अपना शहर बदलने वालों के पक्ष में कोई पक्षपात है?’
वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि कुछ ने अपनी भाषा बदल ली है, उन्होंने गुजराती माध्यम मांगा है. सीजेआई ने सवाल किया, 9 और 10 अप्रैल पर ध्यान दें.. कितने नए पंजीकरण ने अपने केंद्र बदले? आपने 9, 10 अप्रैल को पोर्टल कैसे खोला, उस एक छात्र के अलावा जिसके परिणामस्वरूप 15,000 पंजीकृत थे. 15,000 छात्रों में से कितने 1 लाख आठ हजार में हैं.’ पीठ ने एनटीए के वकील से लंच के बाद मामले की सुनवाई के लिए इन सवालों पर जानकारी प्राप्त करने को कहा.
अधिवक्ता मैथ्यूज नेदुम्परा ने आईआईटी रिपोर्ट की कड़ी आलोचना करते हुए इसे ‘झूठ’ कहा. CJI ने हस्तक्षेप करते हुए उनसे एक प्रमुख संस्थान के खिलाफ निराधार दावों के बजाय तथ्यात्मक साक्ष्य रिकॉर्ड पर लाने का आग्रह किया.
सुनवाई के दौरान, सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए के हलफनामे की भी समीक्षा की, जिसमें शीर्ष 100 NEET-UG उम्मीदवारों के राज्यवार वितरण का विवरण दिया गया था: जयपुर (9), बिहार (7), गुजरात (6), और हरियाणा (4)। एक वकील ने आरोप लगाया कि विसंगतियों पर चिंता जताते हुए जयपुर के अप्रकाशित आंकड़ों की ओर इशारा किया और कहा कि एनटीए 571 शहरों में टॉपर्स के समान वितरण का दावा करता है, लेकिन उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में केवल 17 छात्रों को शामिल किया गया है, न कि शीर्ष 100 को, जैसा कि अपेक्षित था.
बता दें कि, भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सुप्रीम कोर्ट बेंच आज NEET UG RE परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की. अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार (22 जुलाई) को होगी.
पिछली सुनवाई में, सीजेआई ने टिप्पणी की कि पेपर लीक एक तथ्य है. यह संदेह से परे है कि परीक्षा की सुचिता से समझौता किया गया है. अदालत अब इसके परिणामों पर विचार कर रही है. पुन: परीक्षा का आदेश केवल तभी दिया जा सकता है जब यह साबित हो जाये कि पूरी परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि 131 छात्र जो 1,08,000 के भीतर नहीं हैं, वे रिटेस्ट चाहते हैं, और 254 छात्र जो 1,08,000 सफल छात्रों के बीच के हैं रिटेस्ट का विरोध कर रहे हैं. वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगडे ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया.
आज की सुनवाई से पहले, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने प्रस्तुत किया कि परीक्षा के संचालन में कोई प्रणालीगत विफलता नहीं थी. याचिकाकर्ताओं के आरोपों में कहा गया है कि एक प्रणालीगत विफलता रही है. परीक्षा की सुचिता से समझौता पर एनटीए ने कहा कि यह आरोप अस्वीकृत स्रोतों पर आधारित है. एनटीए ने कहा कि कोर्ट मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान नहीं ले सकती हैं, क्योंकि वह असंतुलित और भ्रामक हैं. एनटीए ने कहा कि इसके अलावा मीडिया रिपोर्टें विरोधाभासी हैं और केवल याचिकाकर्ताओं का पक्ष दिखाती हैं.
बेंच में जस्टिस जे बी पारदवाला और मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. शीर्ष अदालत ने 11 जुलाई को मामले में सुनवाई को स्थगित कर दिया था. पीठ ने सूचित किया था कि उसे कथित पेपर लीक मामले की जांच से संबंधित केंद्रीय जांच ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) से स्थिति रिपोर्ट मिली है.