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Friday, September 20, 2024

Bangladesh Protest: बंग्लादेश हिंसा पर शाह, जयशंकर और डोभाल की बैठक, सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चुनौतियां


नई दिल्ली : बांग्लादेश में राजनीतिक उठापटक के चलते भारत में प्रत्येक स्तर पर उच्च सतर्कता बरती जा रही है। केंद्र सरकार की चिंता बांग्लादेश में फंसे लगभग 19 हजार भारतीयों के साथ-साथ वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमले को लेकर भी है। इससे बांग्लादेश से भारत की ओर पलायन बढ़ने की आशंका है।
पड़ोस में अस्थिरता के चलते पूर्वी सीमा पर फिर से उग्रवादी संगठनों के सक्रिय हो जाने का भी खतरा है। इन्हीं सारे मुद्दों के साथ बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर चर्चा के लिए गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को संसद भवन में विदेश मंत्री एस जयशंकर एवं सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।

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सुरक्षा एजेंसियों की बढ़ी चुनौतियां

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इस दौरान गृह सचिव भी मौजूद थे। आपात स्थिति में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपना देश छोड़कर भारत आने के बाद पूर्वी सीमा पर अराजकता बढ़ने की आशंका है, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की चुनौतियां बढ़ गई हैं। यही कारण है कि प्रत्येक गतिविधियों पर सतर्क नजर रखी जा रही है और छोटी से छोटी घटनाओं की भी समीक्षा की जा रही है।बांग्लादेश में एक करोड़ 30 लाख से ज्यादा हिंदू आबादी है।

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कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों में किया जा रहा तोड़फोड़

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घटना के बाद उनपर हमले बढ़ गए हैं। कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू मंदिरों में तोड़फोड़ किया जा रहा है। अराजकता ऐसी फैली हुई है कि बांग्लादेश की पुलिस एवं सेना कुछ करने की स्थिति में नहीं है। पड़ोसी देश में कट्टरपंथी ताकतें जब-जब हावी हुई हैं, तब बड़ी संख्या में वहां के नागरिकों ने भारत में शरण ली है। इतनी संख्या में आए लोगों की व्यवस्था भारत के लिए बड़ी चुनौती होगी।

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अवामी लीग के नेताओं को भी बना रहे कट्टरपंथी निशाना 

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इस बार तो अवामी लीग के नेताओं को भी कट्टरपंथी निशाना बना रहे हैं। उनके घर जलाए जा रहे हैं। हिंसा हो रही है। ऐसी स्थिति में वे भी भारत में शरण मांग सकते हैं। भारत और बांग्लादेश की अंतरराष्ट्रीय सीमा लगभग चार हजार किलोमीटर से अधिक लंबी है। दुनिया की यह पांचवीं सबसे बड़ी स्थल सीमा है, जो नदी-पहाड़ एवं जंगलों से होकर गुजरती है। पलायन बढ़ने की स्थिति में इतनी लंबी सीमा की निगरानी में तमाम मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसे में घुसपैठिए के साथ ही पूर्वोत्तर के उग्रवादी संगठन भी इसी की ओट लेकर फिर से सक्रिय हो सकते हैं और किसी घटना का अंजाम दे सकते हैं। बताया जाता है कि ऐसी समीक्षा बैठक लगभग रोजाना स्तर पर होगी। सुरक्षा बलों को सतर्क रहने के साथ साथ संवेदनशील रहने को भी कहा गया है।

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