गुवाहाटी: असम विधानसभा के चल रहे सत्र के समापन दिवस पर शुक्रवार को नमाज के लिए ब्रेक के ब्रिटिशकालीन नियम को समाप्त कर दिया गया. सदन में सर्वसम्मति से ब्रिटिश काल से चली आ रही परंपरा को समाप्त कर दिया गया.अब से राज्य विधानसभा के सत्र के दौरान जुमे की नमाज अदा करने के लिए दो घंटे का अवकाश नहीं मिलेगा. इससे सदन में शुक्रवार को कार्यवाही अन्य दिनों की तरह ही होगी और मुस्लिम समुदाय के निर्वाचित प्रतिनिधियों को नमाज अदा करने के लिए कोई अवकाश नहीं दिया जाएगा. यह नियम विधानसभा के अगले सत्र से लागू होगा.
निर्णय की जानकारी देते हुए विधायक विश्वजीत फुकन ने कहा, ‘सैयद सादुल्ला (ब्रिटिश भारत के शासनकाल के दौरान असम प्रांत के पहले प्रधानमंत्री) के समय से चला आ रहा नियम आज सदन में समाप्त कर दिया गया.’ यह नियम विधानसभा के आगामी सत्र से लागू होगा. यह मुद्दा विधायक अमीनुल इस्लाम ने सदन में उठाया था. बता दें कि शुक्रवार की नमाज के लिए सुबह 11.30 बजे विधानसभा सत्र रोकने की व्यवस्था ब्रिटिश शासन के दिनों से चली आ रही थी.
फुकन ने कहा, ‘देश के किसी भी राज्य में ऐसी व्यवस्था नहीं है. आखिरकार असम विधानसभा ने भी सैयद सादुला के समय से चली आ रही इस व्यवस्था को खत्म कर दिया.’ उन्होंने कहा कि सदन में सर्वसम्मति से यह बड़ा फैसला लिया गया. इसके लिए मैं विधानसभा अध्यक्ष को धन्यवाद देता हूं. विधानसभा नियमावली के नियम-11 में संशोधन कर नमाज के लिए ब्रेक खत्म कर दिया गया है. इस फैसले पर किसी ने आपत्ति नहीं जताई है. ब्रिटिश शासन के समय से ही असम विधानसभा के सत्र के दौरान मुस्लिम विधायकों को शुक्रवार की नमाज अदा करने के लिए अवकाश देने की परंपरा रही है. आज सदन में इस नियम को समाप्त करने का निर्णय सर्वसम्मति से पारित किया गया. इसे अगले सत्र से लागू किया जाएगा.
सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स में पोस्ट कर कहा है कि 2 घंटे के जुम्मा ब्रेक को खत्म करके असम विधानसभा ने उत्पादकता को प्राथमिकता दी है और औपनिवेशिक बोझ के एक और निशान को हटा दिया है. उन्होंने कहा कि इस प्रथा की शुरुआत मुस्लिम लीग के सैयद सादुल्ला ने 1937 में की थी. इस ऐतिहासिक निर्णय के लिए अध्यक्ष बिस्वजीत दैमारी और हमारे विधायकों के प्रति मेरी कृतज्ञता.वहीं असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने एक्स पर पोस्ट कर कहा कि असम विधानसभा ने दो घंटे का जुम्मा अवकाश समाप्त किया. उन्होंने कहा कि असम में सच्ची धर्मनिरपेक्षता को पुनः प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर. असम विधानसभा ने आज हर शुक्रवार को जुम्मा की नमाज के लिए 2 घंटे के स्थगन की प्रथा को समाप्त कर दिया है. यह प्रथा औपनिवेशिक असम में सादुलह की मुस्लिम लीग सरकार द्वारा शुरू की गई थी.