नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को एक अधिवक्ता को ‘योग्यताहीन’ याचिका दायर करने के लिए उस पर लगाया गया 50,000 रुपये का जुर्माना जमा नहीं करने पर फटकार लगाई तथा उसे दो सप्ताह के भीतर यह राशि जमा करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने वकील अशोक पांडे की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें राशि जमा करने के लिए और समय मांगा गया था। पीठ ने कहा, “आप एक वकील हैं और अदालत को 50,000 रुपये का भुगतान करने का आश्वासन देने के बावजूद आपने पैसे का भुगतान नहीं किया और उसके बाद विदेश चले गए। अब आप यह नहीं कह सकते कि आप जुर्माना नहीं दे सकते। आप जुर्माना अदा करें या हम आपके खिलाफ अवमानना नोटिस जारी करेंगे।”
‘विदेश यात्रा का खर्च बच्चों ने उठाया’
वकील ने दलील दी कि 2023 के बाद से उन्हें कोई केस नहीं मिला है और उनकी विदेश यात्रा का खर्च उनके बच्चों ने उठाया है। पीठ ने उनकी दलील को स्वीकार करने से इनकार कर दिया और उन्हें राशि जमा करने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने किया वकील अशोक पांडे की याचिका को खारिज
बता दें कि शीर्ष अदालत ने दो जनवरी, 2023 को 50,000 रुपये के जुर्माने के साथ वकील अशोक पांडे की याचिका खारिज कर दी थी, जिसमें शीर्ष अदालत में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में विचार नहीं करने का निर्देश देने की मांग की गई थी और कहा था कि यह ‘योग्यताहीन’ और ‘न्यायिक समय की पूरी बर्बादी’ है। कोर्ट ने कहा था कि संविधान में ऐसा कुछ भी नहीं है जो शीर्ष न्यायालय में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों को उच्च न्यायालयों का न्यायाधीश नियुक्त करने पर रोक लगाता हो।