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Sunday, May 19, 2024

जम्मू कश्मीर के पुंछ में बलिदान हुए विक्की पहाड़े के पार्थिव शरीर को पांच वर्षीय बेटे ने दी मुखाग्नि


छिंदवाड़ा

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जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय वायु सेना पर हुए आतंकी हमले में बलिदान हुए वायुसेना के जवान विक्की पहाड़े का पार्थिव शरीर सोमवार को छिंदवाड़ा पहुंचा। पातालेश्वर स्थित मोक्षधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। पिता को मुखाग्नि पांच साल के बेटे हार्दिक ने दी।इससे पहले इमलीखेड़ा हवाई पट्टी पर बलिदानी विक्की पहाड़े को मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बलिदानी विक्की पहाड़े की मां दुलारी से भी मुलाकात की। इस दौरान सीएम ने कहा कि हमें अपने बहादुर जवान और सेना पर गर्व है, जिन्होंने यह कायराना हरकत की, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ेगी।

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मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान के कायराना हमले की निंदा की। उन्होंने बलिदानी के स्वजन को एक करोड़ रुपये राज्य शासन की ओर से देने की बात कही। वहीं उन्होंने कहा कि धारा 370 खत्म होने के बाद छुटपुट घटना को छोड़कर कोई बड़ी घटना नहीं हुई है। भारत इस कायराना हरकत का बदला लेने में सक्षम है।
हवाई पट्टी से वायुसेना के अधिकारियों और जवानों की मौजूदगी में अंतिम यात्रा निकाली गई, जो उनके गृह ग्राम नोनिया करबल पहुंची। इस यात्रा में उनका परिवार, स्वजन और हजारों लोग शामिल हुए। इस दौरान देशभक्ति के गाने बजते रहे। बलिदानी अमर रहे के नारे लगते रहे। जगह-जगह श्रद्धांजलि देने लोगों का समूह उमड़ पड़ा।

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मुख्यमंत्री बोले-भारत इस कायराना हरकत का बदला लेने में सक्षम है

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मुख्यमंत्री ने बलिदानी के स्वजनों को एक करोड रुपए राज्य शासन की ओर से देने की बात कही। वहीं उन्होंने कहा कि धारा 370 खत्म होने के छुटपुट घटना को छोड़कर कोई बड़ी घटना नहीं हुई। भारत इस कायराना हरकत का बदला लेने में सक्षम है। विक्की पहाड़े की अंतिम यात्रा में शामिल होने बड़ी संख्या में स्थानीय लोग पहुंचे।

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हवाईपट्टी से निकाली बलिदानी विक्की पहाड़े की अंतिम यात्रा

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हवाईपट्टी से वायुसेना के अधिकारी और जवान के काफिले के साथ बलिदानी विक्की पहाड़े की अंतिम यात्रा निकाली गई। इस यात्रा में उनका परिवार, रिस्तेदार और हजारों लोग शामिल है। देशभक्ति गाने बज रहे है। शहीद अमर रहे के नारे लग रहे है। जगह जगह श्रद्धांजलि देने लोगों का जनसमूह उमड़ पड़ा है। सेना को और जिले की जनता को देश को शहादत देने वाले विक्की कपाले पर गर्व है।

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पहाड़े की पत्नी को भी इस बारे में जानकारी नहीं दी गई

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ग्रामीणों ने बताया कि अभी बलिदानी विक्की पहाड़े की पत्नी को भी इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है, लिहाजा सारे गांव में अजीब सा सन्नाटा है।विडंबना देखो कि परिवार से पिता का साया पहले ही उठ गया था, बलिदानी विक्की पहाड़े के पिता दिमाकचंद पहाड़े का कुछ साल पहले ही निधन हो गया था।घर में खुशियां आई ही थी, लेकिन विधि का विधान कुछ और ही लिखा था। बलिदानी विक्की पहाड़े 15 दिन पहले ही अपनी बहन की गोद भराई के लिए छिंदवाड़ा में अपने घर आया था। चुनाव ड्यूटी के चलते ही कुछ दिन बाद फिर से देश सेवा के लिए बार्डर के लिए लौट गया थ, जिसके बाद बेटे का जन्मदिन मनाने जून के महीने में फिर आने वाले थे,लेकिन अब वो एसी दुनिया में चले गए, जहां से कोई लौटकर नहीं आता।गांव में जिसने ये खबर सुनी वो सुनकर यकीन ही नहीं कर पा रहा कि गांव का बेटा अभी कभी नहीं आएगा।

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2011 में भारतीय वायु सेवा में हवलदार के पद पर भर्ती हुए थे

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1 सितंबर 1990 को छिंदवाड़ा के नोनिया करबल में जन्मे विक्की पहाड़ी 2011 में भारतीय वायु सेवा में हवलदार के पद पर भर्ती हुए थे। परिवार में तीन बहनों के बीच में इकलौता भाई देश के लिए बलिदान हो गया।परिवार में उनकी मां दुलारी पहाड़े, पत्नी रीना पहाड़े और एक 5 साल का बेटा हार्दिक पहाड़े है। तीन बहनों की शादी हो चुकी है, जिसमें वंदना टांडेकर पति सीताराम टांडेकर, छोटी बहन विनीता मोहबे पति संदीप मोहबे और बबीता पति अनादी प्रसाद मिनटे हैं। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ में एयरफोर्स के वाहनों के काफिले पर शनिवार शाम को आतंकी हमला हो गया था। इस हमले में 5 जवान घायल हो गए थे। घायल जवानों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां एक जवान की मौत हो गई थी। वहीं जहां इलाज के दौरान जवान विक्की पहाड़े बलिदान हो गए।उनके पार्थिव शरीर को उधमपुर सैनिक कैंप में रखा गया है। जहां से विशेष विमान के जरिए नागपुर लाया जाएगा और नागपुर से विशेष वाहन से उनकी पार्थिव देह छिंदवाड़ा पहुंचेगी। जहां, आज उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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जिले में रहा बलिदान का इतिहास

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देश के लिए बलिदान होने का जिले में इतिहास रहा है। अमित ठेंगे, कृष्णकुमार ये वो सपूत हैं जिन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी।बलिदानी मेजर अमित ठेंगे की गाथा जिले में सदियों तक गूंजती रहेगी। 13 जुलाई 2010 के दिन ही वे दुश्मनों से लड़ते हुए बलिदान हो गए थे। छिंदवाड़ा में उनको अंतिम विदाई देने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ा था। गुलाबरा में शक्तिनगर रोड में रहने वाले अमित ठेंगे का जन्म 19 अप्रेल 1982 को हुआ। उन्हें बचपन से ही देश सेवा का जुनून था। वर्ष 2006 में वे लेफ्टिनेंट बन गए। वर्ष 2010 में वह जम्मू कश्मीर के पूंज जिले में तैनात थे। 13 जुलाई 2010 को रेजीमेंट को सूचना मिली की आतंकवादी क्षेत्र के घने जंगल में छिपे हुए हैं। इसके बाद टीम निकल पड़ी। मेजर अमित ठेंगे लीड कर रहे थे। शाम को जंगल में टीम का आतंकवादियों से आमना-सामना हुआ। गोलियां चलने लगी। अमित अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए दो आंतकवादियों को ढेर कर तीन गोलियों के शिकार हो गए। घायल अवस्था में अमित को सैनिक अस्पताल लाया गया, जहां सघन चिकित्सा के दौरान 27 वर्षीय अमित वीरगति को प्राप्त हुए।

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